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October 10, 2011

छोटी बचत पर बड़ा रिटर्न देने की तैयारी में सरकार

Rajesh Kumawat | 08:23 | | | | Best Blogger Tips


डाकघर की योजनाओं के जरिए बचत करने वालों को जल्द ही ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इसकी वजह यह है कि वित्त मंत्रालय ने नैशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (एनएसएसएफ) में सुधार की प्रक्रिया तेज करने का फैसला किया है।

मंत्रालय ने एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को जल्द लागू करने का फैसला किया है। समिति ने पोस्टल सेविंग्स खातों के लिए मार्केट-लिंक्ड ब्याज देने की सिफारिश की थी। इसके अलावा नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट की मच्योरिटी अवधि को घटाने और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड के सालाना सब्सक्रिप्शन की सीमा को बढ़ाने की सिफारिशें भी की गई हैं।

मंत्रालय का मानना है कि इन कदमों से एनएसएसएफ की लोकप्रियता निवेशकों में बढ़ेगी। निवेशक बैंकों की सावधि जमा योजनाओं पर ऊंचे ब्याज के ऑफर की वजह से उनकी ओर खिंच रहे हैं। इसकी वजह से एनएसएसएफ के तहत होने वाले जमा में तेज गिरावट आई है। इस स्थिति ने सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में अपने बजटीय लक्ष्य से 52,800 करोड़ रुपए ज्यादा उधार लेने के लिए मजबूर किया है।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को बताया, 'एनएसएसएफ सुधार को तेजी से लागू करने का फैसला किया गया है।'

ज्यादातर बैंक एक साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर 9.25 फीसदी का रिटर्न ऑफर कर रहे हैं, जबकि पोस्ट ऑफिस में एक साल के जमा पर अधिकतम ब्याज 6.25 फीसदी है। बैंकों के बचत खातों पर चार फीसदी रिटर्न मिल रहा है, जबकि पोस्टल सेविंग्स खातों में 3.5 फीसदी ब्याज मिल रहा है।

एनएसएसएफ पर बनी कमिटी की अध्यक्षता भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ ने की थी। कमिटी ने इस साल जून में प्रस्ताव रखा था कि पोस्ट ऑफिस की योजनाओं पर ब्याज दर को आधे से एक फीसदी तक बढ़ा दिया जाना चाहिए।

समिति ने प्रस्ताव दिया था कि डाकघर बचत खातों पर ब्याज दर को आधा फीसदी बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया जाना चाहिए। साथ ही नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट की मच्योरिटी अवधि को एक साल घटाकर पांच साल कर दिया जाना चाहिए। कमिटी ने सिफारिश की थी कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में सालाना निवेश की सीमा को मौजूदा 70,000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर देना चाहिए।

लोकप्रिय किसान विकास पत्र को खत्म करने की सिफारिश के साथ पैनल ने प्रस्ताव दिया था कि राज्य सरकार की सिक्युरिटीज में स्मॉल सेविंग्स संग्रह के अनिवार्य निवेश के हिस्से को घटाकर 50 फीसदी कर देना चाहिए।

राज्य एनएसएसएफ में आई पूंजी का 80 फीसदी तक हिस्सा अपने सालाना खर्च को पूरा करने पर लगा सकते हैं। ये फंड 9.5 फीसदी ब्याज के साथ 25 साल के कर्ज के तौर पर दिए जाते हैं जबकि राज्यों को बाजार से उधार इससे कम दर पर मिल जाता है।

वित्त मंत्रालय ने पैनल की सिफारिशों पर राज्य सरकारों से बातचीत शुरू कर दी थी, क्योंकि इसके लागू होने से उनकी उधारी पर असर पड़ेगा। यह बातचीत पूरी हो चुकी है और अब मंत्रालय कमिटी के सुझावों को अगले 60 दिनों में लागू करने के बारे में सोच रहा है।

source : NBT




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