डाक विभाग की कमाई बढ़ाने और इसे बाजार प्रतिस्पर्धी को ध्यान में रखते हुए
सशक्त बनाने बनाने के लिए दूरसंचार मंत्रालय निजी खुदरा कंपनियों, बैंक
तथा शिक्षण संस्थानों से गठजोड़ कर विभाग का काम कंपनियों की तरह चलाने पर
विचार कर रहा है। देशभर के लगभग 1.5 लाख डाकघरों को कंपनी के रूप में चलान
से मंत्रालय को सेवा की गुणवत्ता में सुधार होने लाभ बढ़ने तथा लागत घटने
की उम्मीद है।
दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय की डाकघरों
को कंपनी रूप देने की योजना है, ताकि उन्हें जवाबदेह तथा लाभ में चलने
वाला उद्यम बनाया जा सके। पिछले कुछ समय से डाक विभाग के राजस्व की स्थिति
सही नहीं है और करीब 90 फीसदी उसका खर्च 1,55,000 डाक घरों में कार्यरत
4,75,000 कर्मचारियों के वेतन मद में जा रहा है।
अधिकारी ने कहा कि कंपनी
रूप देने की योजना के तहत दूरसंचार मंत्रालय 22 क्षेत्रीय प्रमुखों के लिए
साल-दर-साल आधार पर 20 प्रतिशत राजस्व पैदा करने को अनिवार्य करने पर विचार
कर रहा है। उसने कहा कि डाक विभाग को कंपनी रूप दिया जाएगा, लेकिन यह
सरकार के नियंत्रण में होगा। योजना के तहत भारतीय डाक के 22 जोनों के लिए
कमाई में साल दर साल 20 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा जाएगा। हालांकि डाक
विभाग को 2010-11 में 6,954.09 करोड़ रुपये का राजस्व हुआ, जो 2009-10 के
मुकाबले 11 प्रतिशत अधिक है, लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे सर्किलों के राजस्व में
गिरावट दर्ज की गई।
डाक विभाग स्थिति में सुधार के लिए बैंक, बीमा
एजेंसियों, शिक्षण संस्थानों तथा हिंदुस्तान लीवर और रिलायंस फ्रेश जैसी
खुदरा कंपनियों से गठजोड़ करने पर विचार कर रहा है।
अधिकारी ने कहा कि बैंक
तथा खुदरा कंपनियों से गठजोड़ से विभाग को बेहतर राजस्व प्राप्त करने में
मदद मिलेगी।
दूरसंचार मंत्रालय डाक विभाग को अपने वृहत नेटवर्क का
इस्तेमाल नरेगा, विशेष पहचान संख्या परियोजना तथा शिक्षण योजना जैसे सरकारी
योजनाओं की पेशकश करने में भी निर्देश देने पर विचार कर रहा है।
अधिकारी
ने कहा, हमारा मकसद गांवों के गरीबों को बेहतर डाक सेवा देना है, जो आधुनिक
बैंकिंग तथा खुदरा सेवा सुविधाओं से वंचित हैं तथा वित्तीय जरूरतों के लिए
महाजनों पर निर्भर हैं।
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